जात्रा परिवर्तनासन को अंग्रेजी में बेली ट्विस्ट पोज़, बेली रेवॉल्विंग पोस्चर कहा जाता है। जात्रा परिवर्तनासन 3 शब्दों जात्रा, परिवर्तन और आसन के मेल से बना हुआ है जिसमे जात्रा – जिसका अर्थ होता है पेट, परिवर्तन अर्थात घूमना और आसन यानी योग मुद्रा।
जात्रा परिवर्तनासन कूल्हे और रीढ़ की हड्डी को अधिक लचीला बना देता है। जिन लोगो को दिन के दौरान थकान महसूस होती है उनके लिए यह आसन बहुत ही लाभकारी होता है।
तंत्रिका तंत्र के लिए यह आसन बहुत ही अच्छा होता है। साथ ही बॉडी को डेटॉक्स करने के लिए भी जात्रा परिवर्तनासन लाभकारी है। जब इस आसन को किया जाता है तो सबसे ज्यादा प्रभाव पेट की मांसपेशियों पर पड़ता है।
यह आसन लेट कर किये जाने वाले आसनो में से एक है। जानते है Jathara Parivartanasana को करने का तरीका, उसके फायदे और आसन करते समय ध्यान रखने योग्य सावधानियों के बारे में।
Jathara Parivartanasana: जानिए इसकी विधि, लाभ तथा सावधानिया

जात्रा परिवर्तनासन को करने का तरीका
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आराम की मुद्रा में लेट जाएं।
- इसके बाद पैरों को एक साथ रखें और कंधे के सामानांतर बाँहों को फैला ले।
- ध्यान रहे की आपकी हथेलिया जमीन की तरफ होनी चाहिए।
- इसके बाद पैरों को सिर से 90 डिग्री पर रखे।
- फिर अपना पैर बायीं ओर ले जाए साथ ही अपने सिर को दायी ओर ले जाए।
- अब पैरों को बायीं ओर जमीन पर रखते हुए साँस ले। और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- फिर अपना पैर बायीं ओर ले जाए साथ ही अपने सिर को दायी ओर ले जाए।
- अब पैरों को बायीं ओर जमीन पर रखते हुए साँस ले और रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
- इसके बाद कंधों को जमीन पर रखते हुए सांस छोड़ें।
- इस मुद्रा में 30 सेकंड तक रहें और पैर व शरीर को मध्य में लाए।
- अब दोनों पैरो को दायी ओर ले जाएं और सिर को बायीं और ले जाएं।
- इसके बाद पूरी प्रकिया वापिस से दोहराए।
जात्रा परिवर्तनासन को करने के फायदे
- जात्रा परिवर्तनासन को नियमित करने से पाचन बेहतर होता है।
- यह पेट के अंगों को टोन करता है।
- इस आसन को करने से रक्त संचार अच्छे से होता है।
- थकान व तनाव को कम करने के लिए जात्रा परिवर्तनासन अच्छा आसन होता है।
- इस आसन के नियमित अभ्यास से सिरदर्द से छुटकारा मिलता है।
जात्रा परिवर्तनासन को करते समय ध्यान रखने योग्य सावधानियाँ
- पीठ की चोट, पीठ दर्द या डिजनेरेटिव डिस्क बीमारी हो तो इस आसन को नहीं करना चाहिए।
- एक जानकार और अनुभवी प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में इस आसन का अभ्यास करें।
- कूल्हों या घुटनों में चोट होने पर इस आसन को ना करे।
- गर्भवती महिलाएं और मासिक धर्म के समय इस आसन को नहीं करना चाहिए।