शंख प्रक्षालन हठयोग का महत्वपूर्ण आसन होता है। शंख प्रक्षालन की विधि को वारिसार के नाम से भी जाना जाता है।
शंख प्रक्षालन की क्रिया क्लींजिंग योगाभ्यास के समान कार्य करती है जिससे शरीर के विषैले पदार्थ, टॉक्सिन्स और अन्य व्यर्थ के तत्व बाहर निकल जाते है।
इस योग क्रिया को निरंतर करने से शरीर बीमारियों से दूर रहता है । शंख प्रक्षालन की क्रिया दो शब्दों का मिलाप है जिसमे शंख अर्थात जिसका प्रयोग आंतों के लिए किया गया है क्योंकि आंतें भी शंख के भीतरी भाग की तरह जटिल होती हैं और ‘प्रक्षालन’ यानी साफ करना या धोना।
जिस तरह शंख में पानी को डालकर उसे साफ़ किया जाता है ठीक उसी प्रकार मुंह से पानी पीकर गुदामार्ग से पानी को निकालकर आंतो और पेट को साफ़ किया जाता है। इस क्रिया द्वारा मन को शांत किया जाता है। जानते है Shankh Prakshalan को करने कि विधि और उसके फायदे।
Shankh Prakshalan Steps and Benefits: शंख प्रक्षालन कैसे करे और इसके फायदे

शंख प्रक्षालन करने कि विधि
- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले कागासन की स्थिति में बैठ जाए और कम से कम तीन गुनगुना नमकीन पानी लें।
- आपको बता दे कि हठरत्नावली में नमकीन पानी के बदले में गुड़ से मीठे किए गए पानी, दूध वाले पानी और नारियल पानी के प्रयोग का जिक्र मिलता है जिसे गर्दन तक लेना चाहिए तथा अपनी सामर्थ्य के अनुसार पानी और वायु को रोकना चाहिए।
- जब भी पानी पी ले तो तुरंत बाद ही नीचे दिए गए आसनों का अभ्यास करें और सही क्रम में करें।
- सर्पासन
- हस्तेत्तानासन
- कटिचक्रासन
- उदराकर्षासन
- ऊपर दिए गए आसनों को चार-चार बार दोहराए अर्थात आपको चार बार दाएँ एवं चार बार बाएँ झुकना है।
- अपने अनुसार एक बार फिर पानी पिये और ऊपर दिए गए आसनों को फिर से दो बार दोहराए।
- जैसे ही मल त्याग ने की इच्छा हो शौचालय से फ्री हो जाए।
- बता दे कि पहले ठोस, उसके बाद अर्द्धठोस मल आएगा और अंत में पीला पानी आएग।
- इसके पश्चात् एक गिलास पानी और लें व चारों आसन को तेजी के साथ दोहराएं। इस बार शौच में सिर्फ तरल पदार्थ आएगा।
- पानी लेना तथा आसन दोहराना तब तक शुरू रखें, जब तक शौच में साफ पानी न आने लगे।
- अंत में दो से तीन गिलास बिना नमक के सादा गुनगुना पानी लें तथा कुंजल क्रिया करें ताकि शौच से जारी पानी को रोका जा सके।
शंख प्रक्षालन के फायदे
- इस क्रिया द्वारा पेट के सभी सड़े गले मल बाहर निकल जाते है साथ ही पेट के सारे रोग भी दूर हो जाते है।
- शंख प्रक्षालन शोधन क्रिया आंतों को सामान्य कार्य करने योग्य बनाती है।
- यह क्रिया मूत्र संबंधी संक्रमण तथा गुर्दे में पथरी होने से भी बचाती है।
शंख प्रक्षालन की सावधानिया
- यह योग क्रिया समाप्त होने के पश्चात 1 घंटे के अंदर भोजन ग्रहण कर लेना चाहिए।
- जिस दिन आप यह क्रिया करने वाले है उस रात्री को हल्का भोजन या खिचड़ी का भोजन ही करे।
- शंख प्रक्षालन कि क्रिया करने के बाद 24 घंटे तक दूध से निर्मित कोई भी पदार्थ नही खाने चाहिए।