'उज्जायी' का शाब्दिक अर्थ होता है - विजय या जीतने वाला । इस प्राणायाम के अभ्यास से हम अपनी साँस या वायु पर विजय प्राप्त कर सकते है| इसलिए इसे अंग्रेजी में विक्टोरिएस ब्रीथ कहते है| उज्जायी प्राणायाम को करते समय समुद्र के समान ध्वनि आती है इसलिए इसे ओसियन ब्रीथ के नाम से भी जाना जाता है|
इस आसन को करने से गर्म हवा शरीर के भीतर जाती है जो शरीर के अंदर स्थित दूषित और जहरीले पदार्थों को बहार निकलने में मददगार साबित होती है| इस योग क्रिया और प्राणायाम के द्वारा शरीर को बहुत से गंभीर रोगों से बचाया जा सकता है| इस योग का अभ्यास तीन प्रकार से किया जा सकता है - खड़े होकर, लेटकर तथा बैठकर।
ठण्ड के प्रभाव को कम करने के लिए या सर्दियों में अधिक ठण्ड लगती हो तो इस क्रिया का अभ्यास करें| कुछ दिनों में कड़ाके की ठण्ड भी आपको ज्यादा प्रभावित नहीं कर पायेगी| यह आसन जितना लाभकारी है उतना ही कठिन भी है इसलिए उक्त प्रायाणाम और क्रिया को किसी योग्य योग शिक्षक की उपस्थिति में नियमित किया जा सकता है| आइये जानते है Ujjayi Pranayama in Hindi की विधि और इनसे होने वाले लाभों की विस्तृत जानकारी |
Ujjayi Pranayama in Hindi: जानिए इसकी विधि और लाभ

Ujjayi Pranayama Steps: उज्जायी प्राणायाम करने की विधि
Ujjayi Pranayama Steps को हम यहाँ बता रहे है लेकिन किसी भी प्रकार की परेशानी होने पर योग शिक्षक द्वारा परामर्श लेकर ही इसे करें –
पहली विधि
- समतल और स्वस्छ जमीन पर चटाई या आसन बिछाकर, पद्मासन, सुखासन या वक्रासन की अवस्था में बैठ जाएं|
- अब अपने शरीर तथा मेरुरज्जा अर्थात रीढ़ की हड्डी को सीधा रखेंगे|
- इसके बाद दोनों नासिका छिद्रों से साँस को अंदर की ओर खीचें जब तक हवा फेफड़ों में भर ना जाये|
- फिर कुछ देर तक आंतरिक कुम्भक (वायु को शरीर में रोकना) करें|
- अब नाक के दायें छिद्र को बंद करके, बायें छिद्र से साँस को बहार निकाले|
- वायु को अंदर खींचते और बाहर छोड़ते समय कंठ को संकुचित करते हुए ध्वनि करेंगे, जैसे हलके घर्राटों की तरह या समुद्र के पास जो एक ध्वनि आती है|
- इस प्राणायाम को शुरुआत में 2 से 3 मिनट और अभ्यासरत हो जाने पर 10 मिनट तक किया जा सकता है|
- साँस को छोड़ने की समयावधि, साँस लेने के समय से दोगुना रखें|
- इस आसन को हम कभी भी कर सकते है लेकिन अधिक लाभ लेने के लिए इसे प्रातःकाल खाली पेट करना चाहिए|
- ध्यान रहे इसका अभ्यास करते समय चेहरा विकृत न बनाएं|
इस अभ्यास को बंद के साथ भी किया जा सकता है| साँस को अंदर पूरी तरह भरने के बाद गर्दन को आगे की ओर झुकाएँगे। फिर वायु का बंद महसूस करें और सिर्फ बायीं नासिका से साँस को निकाल देंगे|
दूसरी विधि
इस प्राणायाम को एक अन्य विधि द्वारा भी किया जा सकता है|
कंठ को सिकुड़कर साँस को इस प्रकार से लें और छोड़े की हवा श्वास नलिका से घर्षण कर आये और जाये| इसको करने के बाद उसी प्रकार से आवाज होगी जिस प्रकार से कबूतर गुटूर - गुं करते है| इस दौरान मुलबंद भी लगाएं|
5 से 10 बार इसी प्रकार साँस को अंदर ले और बाहर छोड़े| फिर साँस को अंदर भरकर जालंधर बंध शिथिल करें और फिर धीरे-धीरे साँस को छोड़े| अंत में मुलबंद को शिथिल कर लें|
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Ujjayi Pranayama Benefits: जानिए इसके लाभ
इस प्राणायाम को करने से अनेक लाभ होता है आइये जानते है Ujjayi Pranayama Benefits in Hindi
- इस क्रिया को करने से फेफड़े मजबूत होते है और उनकी प्राणवायु लेने की क्षमता बढ़ती है तथा खून का संचार ठीक से होता है|
- ह्रदय, अस्थमा और उच्च रक्तचाप के रोगियों के लिए लाभकारी है|
- शारीरिक तनाव और मानसिक निराशा को दूर करता है तथा मन को शांत रखता है|
- इस आसन के नियमित अभ्यास से शरीर के सभी टॉक्सिन्स निकल जाते है, श्वास प्रक्रिया बेहतर होकर हॉर्मोनल संतुलन बनाए रखता है|
- थाइराइड का मरीज अगर जल्दी ठीक होना चाहता है तो उसके लिए दवा के साथ - साथ उज्जायी प्राणायाम का नियमित अभ्यास अत्यधिक फायदेमंद होता है|
- पीठ दर्द से परेशान व्यक्तियों के लिए हितकारी है|
- इसके नियमित अभ्यास से कमर में जमी चर्बी और मोटापे से पीड़ित व्यक्ति को राहत मिलती है|
Ujjayi Pranayama in Hindi को करने की कई विधि है यहाँ हमने आपको कुछ आसान क्रियाओं के बारे में बताया है| जिनके अभ्यास से आप लाभान्वित हो सकते है| किसी भी प्रकार की परेशानी या दर्द होने पर किसी योग्य योग गुरु की उपस्थिति में इस आसन को करें|